सँवरिया ना बोले रे
सँवरिया ना बोले रे !करे हमसे दोयद बेवहार,सँवरिया ना बोले रे !ना बोले, ना बोले, ना बोले रे,सँवरिया ना बोले रे !अपने मन वाली, करे खाली बतिया,कइसे कराईं हम, अपनों सुरतिया,बाति सुने पर न बावे तइयार,सँवरिया ना बोले रे !रहिया Read more
सँवरिया ना बोले रे !करे हमसे दोयद बेवहार,सँवरिया ना बोले रे !ना बोले, ना बोले, ना बोले रे,सँवरिया ना बोले रे !अपने मन वाली, करे खाली बतिया,कइसे कराईं हम, अपनों सुरतिया,बाति सुने पर न बावे तइयार,सँवरिया ना बोले रे !रहिया Read more
वैदिक काल से ही,गुरु परंपरा.भारतवर्ष में, चलती आई.शिखर तक, जिसको पहुंचाया,गुरु नानक देव, नाम कहलाया. साहसी वीरों को, किया संगठित.आतातायीओ से,भारतवर्ष को बचाया.तलवंडी पंजाब में,लिया जन्म.गुरु नानक देव, नाम कहलाया. “देव” ने सारे संसार में,प्रकाश फैलाया,हमने उनकी जयंती को,प्रकाश पर्व Read more
हुई शाम यार अपने तमाम आये,कहीं से मय आयी कहीं से जाम आये उम्र गुजर गई एक खत की आरज़ू मेंना थी किस्मत कि तुम्हारा पयाम आये जब भी पूछे कोई मेरी मंज़िल-ए-मक़सूदहर बार जुबाँ पे अबस तेरा ही नाम Read more
प्रकृति के शाश्वत क्रम मेंसमुद्र में ज्वार -भाटेआते रहते हैंयह क्रम जैसे ही व्यतिक्रम होता हैप्रकृति के साथ होती हैमनमानीनिश्चित तूफान उठ खड़ा होता हैलहरें हो जाती हैं सुनामीइसीलिए चाहे भूकंप हो याज्वालामुखीप्रकृति के नियमों के विरुद्ध जबभी कहीं खोट Read more
रुख हवाओं का बदलता देखिएसूर्य पश्चिम से निकलता देखिए है धरा बहती यहाँ उल्टी सदासाँप का केंचुल उतरता देखिए © मोहन जी श्रीवास्तव “सत्यांश”
कठिन है ये सफरव्यथित है मनहूं अकेला चंचल है मन।कैसे समझाऊं खुद कोकैसे रिझाऊंएक वेदना भरी हैअंगार सा उठा है।कोई समझ ना पाएएक भूचाल सा उठा है।कश्मकश की लहर नेबेसुध बना दिया हैउधेड़बुन के जाल नेजंजाल बना दिया है।कोई तो Read more
आओ हम सब मिलकर,एकता दिवस मनाए.अपनी भारत माता को,सुखी और समृद्ध बनाएं. लौह-पुरुष के जन्मदिन पर,आओ हम सब सौगंध,ये खाएं,जब तक है,हमारा जीवन,कोई इसके टुकड़े,न कर पाए. 565 रियासतों को जिसने,एक सूत्र में पिरोकर,यह भारत राष्ट्र बनाया,उस सरदार पटेल के Read more
मुस्कराने के लिए जरूरी नहींपूरी तरहविज्ञापन में उतर जानाइन्सान के लिएतनाव रहित मस्तिष्कऔरपेट में अनाज का तिनकाहोठों की परिधि मेंमुस्कराहट को संतुलित रखते हैं। सिर्फ खुली हवा, पानी और धूप सेअहर्निश फूल मुस्कराते हैंइसीलिएजिंदगी के अंत: सौंदर्य मेंसबसे अच्छा हैमुस्कराने Read more
वक्त के हाथ में , अब भी वही कबीरा है ।चादर झीनी वही, घर अपना फूँक आते है ॥राग जीवन का मै,जब भी समझना चाहा ।दर्द में प्यार के, हर गीत उभर आते है ॥मानवीय रिश्तों पर, मॅडराती ये कैसी Read more
चेहरों पर उभरी, चिंता की रेखाएंकहती हैं आदमी के संघर्ष की गाथाएंरोटियों को पाने की ललक मेंठहर जाता है वक्त।इज्जत के पानी और स्वाभिमान के आटे से गूँथी,तनिक भी,आँच बर्दाश्त नहीं करती ये रोटियाँलेकिन, आसानी से ठहर जाती हैं अपने Read more