सँवरिया ना बोले रे !
करे हमसे दोयद बेवहार,
सँवरिया ना बोले रे !
ना बोले, ना बोले, ना बोले रे,
सँवरिया ना बोले रे !
अपने मन वाली, करे खाली बतिया,
कइसे कराईं हम, अपनों सुरतिया,
बाति सुने पर न बावे तइयार,
सँवरिया ना बोले रे !
रहिया बइठि ताकी ,हम उनकी ओरिया,
आ जइते सुधि लेबे,खाती निरमोहिया,
दूर केतना बा लागल दरबार,
सँवरिया ना बोले रे !
घूमि-घूमि देसवन में, डंका बजवले,
देसवा के माथा के ऊंचा उठवले,
लागे हमनी से तुरले क़रार,
सँवरिया ना बोले रे !
बीतल जाता साल, मोर टूटत भरोस बा,
लागऽताटे प्रीत भइल, जात दूर कोस बा,
झूठ लागत बा उनकर दुलार,
सँवरिया ना बोले रे !
राज मन का ना खोले रे !
सँवरिया ना बोले रे !

© शिव जी पाण्डेय “रसराज”