रुख हवाओं का बदलता देखिए
सूर्य पश्चिम से निकलता देखिए
है धरा बहती यहाँ उल्टी सदा
साँप का केंचुल उतरता देखिए
© मोहन जी श्रीवास्तव “सत्यांश”
रुख हवाओं का बदलता देखिए
सूर्य पश्चिम से निकलता देखिए
है धरा बहती यहाँ उल्टी सदा
साँप का केंचुल उतरता देखिए
© मोहन जी श्रीवास्तव “सत्यांश”
1 Comment
P Kumar · October 31, 2021 at 7:58 pm
उम्दा कविता,आज के परिवेश पर एकदम सटीक बैठ रहा है।
उम्मीद है आप अईसे ही प्रस्तुति उपलब्ध कराते रहेंगे।
आपको साधुवाद