dhananjai

लायक बेटे

शंभू नाथ दूबे जी के यहाँ उनकी पत्नी की तीसरी बरसी के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पूरे पूर्वांचल के सभी नेतागण, बड़े-बड़े अधिकारी, व्यापारी के साथ-साथ गरीब मज़दूर, किसान भी पहुँचे थे। तीन साल पहले शंभू नाथ दूबे जी की पत्नी Read more

Flower

मैं कौन हूँ

तुम्हारी बंदगी हीअब मेरी ज़िंदगी बन गई है… तुम्हारा नाम हीअब मेरा परिचय बन गया है… तुम्हारे संस्कार हीमेरे जीवन का अब मूल – मंत्र है… तुम्हारे वाक्यांश हीमेरे जीवन का अब वेद – वेदांत है… रीति – रिवाज़ से Read more

abhivyakti

सब्र का फल

मृग मरीचिका सीअनुसरण करती कभी कभीतुम्हारी यादें उभर आतीं हैंमेरे मानस पटल पर… यथार्थ के धरातलके समीप पहुँचकरसारी सोच अर्ध सत्य केबीच लोट रही थी… भग्नावशेष चिंताधारापंछियों की उन्मुक्तता से परेएकांत की तलाश में थीसारे सृजन को टटोलती… शाम ढलते Read more

Sunrise

ज़िंदगी के किरदार

मेहमान बनकर इस दुनिया मेंहम सब एक दिन आए थे.मेजबान बनकर रह गये यहाँसाथ कुछ नहीं लाए थे. इंद्रधनुषी इस दुनिया मेंदौलत खूब कमाए थे.तरह तरह के पकवानों सेजी भर थाली सजाए थे. घर आए मेहमान के लिएकभी थोड़ा सा Read more

dead man

क्षण भंगुर जीवन

चल रहा था पटरी पर ,घर की ओर वह… उसकी चाल में लापरवाही थी,उसे घर पहुँचने की जल्दी थी… बिना आवाज़ की आती हुई गाड़ी कोदेख भी न सका कि क्षण भर मेंचिर शांत होकर पटरी पर गिर पड़ा… ख़ून Read more

labor

कौन है वह???

कड़ी मेहनत करते हैं वोलगन से काम करते हैं वोबदले में चाहते हैं…थोड़ी सी छाँव,तन ढकने को कपड़े,दो जून की रोटी की ख़्वाहिशरखते हैं…कौन हैं वो ???श्रमिक ही तो हैं… पसीना हर पल बहाते हैं,धूप में तन जलाते हैं,ईंट, कंकरीट, Read more

green field

तुम हो इर्द गिर्द

सुनहरी सी,गुनगुनी धूप की चादर ओढ़ेचाय की चुस्कियों संग की सुबहयाद दिलाती हैतुम हो यहीं कहीं इर्द गिर्दधूप- छाँव तले… पलाश केफूलों से भरी डालीगाँव की पगडंडी परसाथ साथ चलतेहाथों से हाथों की वो छुअनतरोताज़ा होकर आज भीज़िंदा है मेरे Read more

Evening

अहमियत ज़िंदगी की

रिश्तों की अहमियत जाने बगैररिश्तों में ज़हर घोल लेते हैं लोगबुनियादी मज़बूती समझने से पहलेबेवजह फ़ैसले कर लेते हैं लोग… जुड़ने से पहले ही टूटने वाले रिश्तेवाकई कमज़ोर धागों में पिरोये होते हैंहाथों की लकीरों को परखने वालेआजीवन खुद से Read more

aashirwad

वह एक दौर था

एक दौर थाजब छोटे , बड़ों काचरण स्पर्श करते थे,बड़ों का आशीर्वाद मिलता था,“दीर्घायु भव”… संस्कारकुछ ऐसा आज भी हैसिर्फ प्रथा बदल गई है… आज छोटे, बड़ों केचरण स्पर्श से कतराते हैंबड़े उन्हें गले से लगाकरकहते हैं “यशस्वी भव”… बड़ों Read more

heaven

उन्मुक्त ज़िंदगी

गगन तले , मुक्त हवा मेंगुज़रती ज़िंदगी जाने कबउन्मुक्त होकर , निर्भिक सीउड़ने लगी, हो पंख विहीन… विराट विश्व में एकाकीतन्मयता से ढूँढ़ रही थीअपने ही जैसी संगीहीना ,मिली ज़िंदगी, शब्दहीन… पाथेय नहीं है संग मगरहै आनंद से भरा मन Read more