नूतन नववर्ष
अब न कहीं युद्ध होगान रहेगी अशान्ति।न कोरोना होगान ही किसी को रोना होगान होगी महामारीचहुँओर चहकेगी किलकारीन अपनो को खोना होगान ही किसी की आँख आँसुओं से भिगोना होगा ।जो गिरे हैवे पूर्ण मनोवेग से उठेंगेचाहें व्यक्ति हों या Read more
अब न कहीं युद्ध होगान रहेगी अशान्ति।न कोरोना होगान ही किसी को रोना होगान होगी महामारीचहुँओर चहकेगी किलकारीन अपनो को खोना होगान ही किसी की आँख आँसुओं से भिगोना होगा ।जो गिरे हैवे पूर्ण मनोवेग से उठेंगेचाहें व्यक्ति हों या Read more
मेरे दिल की किताबकुंठा के ताले सेबरसों बंद पड़ी थी… एहसासों के अल्फ़ाज़उमड़ घुमड़ कर,थोड़ी दबी ज़ुबाँ सेबहुत कुछ कहते… मगर कुछ समझ,कुछ नासमझी कीअलसाई सी चादर तले ,बस उफनकर रह जाते… एक दिन कुछ ढूँढ़ते हुएदराज से मिली एक Read more
बंद दरवाज़े के अंदरकमरा ख़ामोशी सेपनाह दे रहा थादो अजनबियों को…. ऑंखों में ख़्वाबों को समेटेउसकी मुस्कान बता रही हैहर हाल खुश रहेगी,इस अजनबी के साथ… सात फेरों का नहींकाग़ज़ी हस्ताक्षर काबंधन है दोनों का…. पुरुष का पुरुषार्थ ,स्त्री को Read more
बाइस साल बाद मिली जीत परकहीं खुशी कहीं दिखावे का सदमालालच में बिना सोचे समझेफिर कर दिया मुकदमासामाजिक अपमान सेचढ़ गयी भौंलोगों के चढ़ाने पर दायर कर दियासी० ए० अठारह बटे नौ।आखिर! सत्य परेशान होता है पराजित नहींसत्य को परखने Read more
स्वाभिमान के आँगन मेंअन्याय के खिलाफएक मुकद्दमाअंकुरित हुआ ।जहाँ मरने के दस वर्ष बादमृतक को स्वर्ग से बुलाया गयाबकायदे रजिस्ट्री कराया गया।अंकुरण के पश्चातखाद -पानी के रुप मेंसारे ग्राह्य सबूत उसकी जड़ों में डाला गयाक्योंकि जड़ें खाती हैपूरा पेड़ लहलहाता Read more
अर्ध सत्य , अर्ध मिथ्या मेंजी रहे हैं हम… आधी – अधूरी ज़िंदगी केआधे – अधूरे लोग हैं हम… मान – अभिमान के द्वन्द्व युद्ध मेंकभी हारे कभी जीते हम… प्रासंगिक , अप्रासंगिक घटनाओं केएकमात्र उदाहरण हैं हम… आलिंगन में Read more
कुछ दिनों से , जोर शोर सेदेश में लग रहा है ये नाराहर घर तिरंगा, घर घर तिरंगातिरंगा है जान से प्यारा….. आज़ाद वतन की आज़ादी मेंतिरंगा लहराये प्यारासबसे प्यारा, सबसे न्याराहिंदूस्तान हमारा…. परचम के तीन रंगों कीअलग मर्यादा , Read more
पिता ,सिर्फ शब्द नहींएक घनेरी छाँव है,वज़नदार एहसास है… पिता ,जिनकी उंगलियों सेमिला उंगलियों कोएक उष्मीय स्पर्शडगमगाते कदमों कोदी मज़बूती ,चलना सिखलाया… पिता ,आँखों से बहतेझर झर आँसुओं को रोके,दे होंठों कोमधुर मुस्कान… पिता ,बाहों में जिसकीहै फौलादी ताक़तढाल बनकर Read more
ज़िंदगी को बेहतरीन बनाकरजीने की एक तमन्ना थीयादों के पिटारेों के संगगुफ़्तगू करने का इरादा था…. ख़ाका तजुर्बे का साथ था,मगर जीने की आदत र यूँहीपल पल बदलने लगीयही जीवन का फलसफ़ा था…. गणित के सारे गूढ़ रहस्यपल पल भारी Read more
सिर्फ़ रात ही नहीं बीततीबीत जाता है दिन भीदीए का तेल ही नहीं जलताजल कम होती है बाती भी दु:ख होतें हैं ख़त्म तोसुख भी बीत जाता हैआते हैं सब जाने के लिएसमय चक्र यही बतलाता है मेजबां कोई नहींयहां Read more