पूँजीवाद टूटेगा
उन्हें रचने दो साज़िशऔर बनाने दो चक्रव्यूहअब अभिमन्यु नहीं मारा जाएगा और न ही द्रोणाचार्य एकलव्य का अंगूठा ले पाएंगेअब वृहन्नला भी संसद तक पहुंचेंगेशस्त्र समर्पण के प्रति न कोई भीष्म प्रतिज्ञा होगी और न ही होगा महाभारतजातिगत वर्ग संघर्ष की बात भी निरर्थक हैहाँ जो सोचते हैं अर्थ के Read more









