Kavita / Shayari
कोई तो संभाल लो
कठिन है ये सफरव्यथित है मनहूं अकेला चंचल है मन।कैसे समझाऊं खुद कोकैसे रिझाऊंएक वेदना भरी हैअंगार सा उठा है।कोई समझ ना पाएएक भूचाल सा उठा है।कश्मकश की लहर नेबेसुध बना दिया हैउधेड़बुन के जाल नेजंजाल बना दिया है।कोई तो रोक लोमैं मर ना जाऊइस बीच भंवर मेंफंस ना जाऊ।कोशिश Read more…