Kavita / Shayari
.गीत
मन में याद, याद में तुम हो।तुझ में है सपने अनगिन॥आंगन है तुलसी का चौराऔर नीम यूँ झूम रही हैगिल्लू भागा दौड़ा फिरतागौरैया कुछ चुंग रही हैबाबा की धोती गीलाकरमुनुवा रोये हर पल -छिनमन में याद,याद में तुमहो … अनगिन॥याद Read more…
मन में याद, याद में तुम हो।तुझ में है सपने अनगिन॥आंगन है तुलसी का चौराऔर नीम यूँ झूम रही हैगिल्लू भागा दौड़ा फिरतागौरैया कुछ चुंग रही हैबाबा की धोती गीलाकरमुनुवा रोये हर पल -छिनमन में याद,याद में तुमहो … अनगिन॥याद Read more…
खुली हवा में साँस लेने का सुखउस कबूतर से पूछोजो पिजड़े में कभी कैद न हो ।मुक्त गगन में दम्भ भरता हैउड़ने की कलाबाज़ी दिखाता हैनजदीक से इंद्रधनुष छूकरलौटने पर इतराता है ।पर कितना कठिन हैखुशी-खुशी सुहागिनों को अपनी मांग Read more…
लड़कियों के पैदा होने वबाप के लिए चिंता का बीजबोनेकी वजहसमाज द्वारा खाद पानीदहेज के रुप में जड़ों में डाला जाना हैक्योंकि जड़ें खाती हैं।पूरा पेड़ लहलहाता है।बाहर से भले ही पिता मुस्कुराता हैपर अंदर ही अंदर टूटता चला जाता Read more…
मूल्यहीनता की छायाऔर भ्रष्टाचार का धूप हैजाने क्यूं !आजकल आईना चुप हैहर बात एक बिंदु पर आकरसलट जाता हैइसीलिए आईना टूटता बिखरता तो हैसच दिखाने और कहने का साहस भी है उसमेंपर हवा के सानिध्य में आते हीपलट जाता हैजब Read more…
उन्हें रचने दो साज़िशऔर बनाने दो चक्रव्यूहअब अभिमन्यु नहीं मारा जाएगा और न ही द्रोणाचार्य एकलव्य का अंगूठा ले पाएंगेअब वृहन्नला भी संसद तक पहुंचेंगेशस्त्र समर्पण के प्रति न कोई भीष्म प्रतिज्ञा होगी और न ही होगा महाभारतजातिगत वर्ग संघर्ष Read more…
न जाने क्यों, मैं फिदा हूं, उसकी चाहत का. ना जाने क्यों, मैं दीवाना हूं, उसकी चाहत का. हर – दम मैं चाहता हूं कि, वो न आये, इन खयालों में, मगर,वो आ ही जाती है, मेरे इन सवालों में. Read more…
वो एक मानव ही था,जो सड़क से जा रहा था.आसमान की तरफ देखते हुए,क्या इतने ही तारे हैं?जितने की इन ऊंची इमारतों,पर जगमगाती हुई रोशनिया. वो भागता है,उसके पीछे आने वाली भीड़ से,नहीं मैं नहीं भाग सकता,वो रुक जाता है, Read more…
इस दर्द भरे दिन की शाम नहीं है,इस आगाज़ का अंजाम नहीं है। ऐ चर्ख तूने लूट लिया सब कुछ मेरा,फिर भी तुझको इत्मीनान नहीं है. चैन-ओ-करार लूटा, अब जी चाहिए,क्या ज़रा भी दीन-ओ-ईमान नहीं है, कह दो दिल की Read more…
बिस्मिल हुआ है दिल निगह की मार से,नोक दिख रही है तीर की जिग़र के पार से जब से मारा है उन्होंने तबस्सुम फेंक करतब से रहने लगे हैं हम कुछ बेक़रार से इस क़दर खाया है धोका तेरे अहद Read more…
जब सिर्फ तुम्हे दुत्कार मिले,ऑफिस में बातें चार मिले,सब श्रेय सहकर्मी ले जाये,चपरासी भी घुड़की दे जायेज्यादा नहीं दो घूँट सहीतुम हया घोल कर पिया करोतुम लाफ्टर योगा किया करो जब यारों से इनकार मिलेबीवी से भी ना प्यार मिले,बच्चे Read more…