मित्र बिना हैं सब रस फीके, माल मुलक सब सूना,

दुख को पल में आधा कर दे, खुशियाँ कर दे दूना।

© Sunil Chauhan


Sunil Chauhan

Sunil Chauhan

मुसाफ़िर हूँ यारों, मुझे चलते जाना है

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R Jha · August 25, 2021 at 12:05 pm

मित्र बिना हैं सब रस फीके – बेहतरीन

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