क्षण भंगुर जीवन
चल रहा था पटरी पर ,घर की ओर वह… उसकी चाल में लापरवाही थी,उसे घर पहुँचने की जल्दी थी… बिना आवाज़ की आती हुई गाड़ी कोदेख भी न सका कि क्षण भर मेंचिर शांत होकर पटरी पर गिर पड़ा… ख़ून से लथपथ,चार टुकड़ों की लाश परपड़ी जब सबकी नज़र तो,हाहाकार Read more









